गुर्जर मानवेंद्र सिंह (ध्रुवजी)
तेजस न्यूज़ लाइव
साल 1857 की क्रांति (1857 Revolt) को अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी गई पहली जंग माना जाता है।1857 की क्रांति में आज ही के दिन 10 मई को मेरठ से पहली चिंगारी भड़की थी।आज मेरठ से शुरू हुई इस क्रांति के नायकों को याद किया जा रहा है, जिसमें एक शख्स की वीरता और बलिदान को सबसे ज्यादा याद किया जा रहा है। इस स्वतंत्रता सेनानी का नाम है कोतवाल धनसिंह गुर्जर।
धनसिंह गुर्जर को याद करते हुए कई हस्तियों ने ट्वीट किया है और लोग भी उन्हें याद कर रहे हैं।
ऐसे में जानते हैं कि धनसिंह गुर्जर कौन हैं और 1857 की क्रांति में उनका क्या योगदान था।इसके अलावा धन सिंह गुर्जर से जुड़े वो किस्से भी आपको बताते हैं, जिनसे पता चलता है कि धनसिंह गुर्जर का अंग्रेजों के बीच कितना खौफ था।
जानिए धन सिंह गुर्जर से जुड़ी हर एक बात…
कौन थे धनसिंह गुर्जर?
जब भी 1857 की क्रांति की बात होती है तो धन सिंह गुर्जर को हमेशा याद किया जाता है।कहा जाता है कि उन्होंने ही ऐतिहासिक विद्रोह को जन्म देने वाली घटनाओं को जन्म दिया था और उनकी ओर से उठाए गए एक कदम ने क्रांति की आग में चिंगारी का काम किया।इंडियन कल्चर जीओवी डॉट इन के अनुसार, धनसिंह का जन्म मेरठ के पांचाली गांव में हुआ था। दरअसल, 09 मई 1857 को कारतूस में जानवरों की चर्बी लगी होने के मामले में कई सिपाहियों को जेल भेज दिया गया था।इस घटना की खबर जंगल की आग की तरह फैल गई और 10 मई को जिले भर के ग्रामीण मेरठ पुलिस स्टेशन में सिपाहियों की रिहाई की मांग करने के लिए एकत्र हुए।
उस वक्त धन सिंह कोतवाली (थाना) के मुखिया थे।शहर की रक्षा करना क्षेत्र के कोतवाल के रूप में उनका कर्तव्य था।लेकिन, उन्होंने प्रदर्शनकारियों से हाथ मिलाते हुए 800 से अधिक कैदियों को मुक्त करवाया गया। इसे “दिल्ली की घेराबंदी” के रूप में जाना जाता है।इसे आजादी की पहली जंग का सबसे अहम हिस्सा माना जाता है। उस दौरान धन सिंह गुर्जर ने 10 मई 1857 के दिन इतिहास प्रसिद्ध ब्रिटिश विरोधी जनक्रांति के विस्फोट में अहम भूमिका निभाई थी। एक पूर्व योजना के तहत विद्रोही सैनिकों और धन सिंह कोतवाल सहित पुलिस फोर्स ने अंग्रेजों के विरुद्ध साझा मोर्चा गठित कर क्रांतिकारी घटनाओं को अंजाम दिया था।
शाम 5 से 6 बजे के बीच, सदर बाजार की सशस्त्र भीड़ और सैनिकों ने सभी स्थानों पर एक साथ विद्रोह कर दिया। धन सिंह कोतवाल द्वारा विर्देशित पुलिस के नेतृच्व में क्रांतिकारी भीड़ ने ‘मारो फिरंगी’ का घोष कर सदर बाजार और कैंट क्षेत्र में अंग्रेजों का कत्लेआम कर दिया।धनसिंह कोतवाल के आह्वान पर उनके अपने गांव पांचली सहित घाट, नंगला, लिसाड़ी, डीलना आदि गांवों के हजारों लोग सदर कोतवाली क्षेत्र में जमा हो गए।
प्रचलित मान्यता के अनुसार इन लोगों ने धन सिंह कोतवाल के नेतृत्व में रात दो बजे नई जेल तोड़कर 839 कैदियों को छुड़ा लिया और जेल में आग लगा दी।
नई जेल तोड़कर 839 कैदियों को छुड़ा लिया और जेल में आग लगा दी।4 जुलाई 1857 को बदले की भावना से ग्रस्त अंग्रेजी खाकी रिसाले ने धन सिंह कोतवाल के गांव पांचली को तोपों से उड़ा दिया।करीब 400 लोग मारे गए, 40 को फांसी दे दी गई।